
छाया: स्वस्तिका चक्रवर्ती के एफ़बी अकाउंट से
सृजन क्षेत्र
टेलीविजन, सिनेमा और रंगमंच
प्रमुख प्रतिभाएँ
स्वस्तिका चक्रवर्ती
रंगमंच और सिनेमा की स्थापित अभिनेत्री स्वास्तिका चक्रवर्ती का जन्म 8 नवंबर 1968 को इलाहाबाद ( अब प्रयागराज ) में हुआ। उनके पिता सुनील कुमार चटर्जी शिक्षा वकालत करते थे और माँ रुना चटर्जी एक सुघड़ गृहिणी थीं। बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही। स्वास्तिका जी की प्रारंभिक शिक्षा इलाहाबाद के क्रोस्थवेट गर्ल्स इंटर कॉलेज एवं इंडियन गर्ल्स इंटर कॉलेज में हुई, उसके बाद उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कला विषयों में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
बांग्ला परिवारों में कला -संक्राति और साहित्य को काफ़ी महत्व दिया जाता है। इस परम्परा ने कई कलाकारों को सुदृढ़ आधार दिया। स्वास्तिका जी भी उन्हीं में से एक हैं। चूँकि उनके पिता भी रंगमंच के क्षेत्र से थे और इलाहाबाद शहर में उनका एक अलग ही सम्मान हुआ करता था, इसलिए घर में नाटक का स्वाभाविक वातावरण उन्हें मिला। दुर्गा पूजा एवं अन्य कार्यक्रमों में उन्हें बचपन से ही प्रतिभागिता का अवसर मिलता रहा। 3 वर्ष की उम्र में स्वास्तिका जी ने प्रथम बांग्ला नाटक में रंगमंच पर अभिनय किया। इसके अलावा स्कूल में भी सुनील चटर्जी की बेटी होने के नाते हर सालाना जलसे में भाग लेने का लगातार अवसर मिलता। उन्हें अच्छे गुरु का सानिध्य मिला जिनसे वह निरंतर नृत्य और अभिनय का प्रशिक्षण लेती रहीं। अपनी रुचि के अनुरूप आगे चलकर स्वास्तिका जी ने प्रयाग संगीत समिति से शास्त्रीय गायन में संगीत प्रभाकर की उपाधि प्राप्त की एवं विश्व भारती विश्वविद्यालय, शांति निकेतन से नाटक में स्नातकोत्तर किया। इस दौरान वे प्रोग्रेसिव थिएटर संस्था से जुड़ीं जिसमें तिग्मांशु धूलिया, परितोष संड और विमल वर्मा जैसे रंगकर्मी उनके साथी थे। 1987 से वे आकाशवाणी की ‘बी हाई’ नाट्य कलाकार हैं। शुरुआत में स्वयं को स्थापित करने के लिए इन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा, परन्तु सतत प्रयत्न, पिता व गुरुओं के आशीष से वे निरंतर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती रहीं।
वर्ष 1991 में स्वास्तिका जी व्यवसायी देव चक्रवर्ती के साथ विवाह के उपरान्त भोपाल आ गयीं। देव स्वयं अच्छे चित्रकार हैं एवं ससुराल के सदस्यों में कला के प्रति सम्मान भाव होने के कारण स्वस्तिका जी को आगे चलकर भी पारिवारिक स्तर पर किसी दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ा।
अब तक स्वास्तिका जी 350 से अधिक नाटकों में अभिनय कर चुकी हैं। इस दौरान उन्हें अपने पिता सहित कई प्रतिष्ठित निर्देशकों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ जैसे परिमल दत्ता, कल्याण घोष, विनोद रस्तोगी, सचिन तिवारी, अनिल भौमिक और विजय बोस। भोपाल के सुप्रसिद्ध निर्देशक ब.व. कारंत, अभिनेत्री व निर्देशिका विभा मिश्रा, अलखनंदन, के.जी त्रिवेदी, अशोक बुलानी, अनूप जोशी और सरोज शर्मा। इसी प्रकार कोलकाता के श्री बादल सरकार, साओली मित्रा और उत्पल दत्त, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के निर्देशक लोकेन्द्र त्रिवेदी, एम.के. रैना एवं रामगोपाल बजाज जैसे दिग्गज निर्देशकों के साथ काम करते हुए स्वस्तिका जी की अभिनय प्रतिभा निखरती चली गई।
नाटकों के अलावा स्वास्तिका जी टेलीविजन और फिल्मों में भी बीच-बीच में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाती रहीं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सबसे पहले लखनऊ दूरदर्शन पर प्रसारित ‘तोता मैना की कहानी से हुई जिसे विनोद रस्तोगी ने निर्देशित किया था। इसके बाद दूरदर्शन पर प्रसारित दर्जनों टेलीफिल्म और धारावाहिकों में उन्होंने काम किया जिसके दौरान उन्हें कृष्ण राघव, कुबेर दत्ता एवं जयंत देशमुख जैसे निर्देशकों के साथ काम करने का अवसर प्राप्त हुआ। इसके अलावा कई टीवी कार्यक्रमों में उन्हें एंकरिंग का अवसर भी प्राप्त हुआ। उदाहरण के लिए ईटीवी मध्यप्रदेश द्वारा प्रसारित ‘मिसेज भाग्यशाली’ की 1279 कड़ियों में उन्होंने काम किया।
स्वास्तिका जी का करियर परवान चढ़ता रहा और उनके अभिनय का जादू फीचर फिल्मों में भी नज़र आने लगा। उनकी प्रमुख फ़िल्में हैं – इस्माइल मर्चेंट द्वारा निर्देशित ‘इन कस्टडी’, इस्माइल श्रॉफ़ द्वारा निर्देशित तरकीब, वीरेंदर राठौर द्वारा निर्देशित वाइफ़ है तो लाइफ़ है, सतीश जैन द्वारा निर्देशित छत्तीसगढ़ी फिल्म मया, और कन्हैया फ़िल्म्स बैनर तले निर्मित रामायण, स्वप्न साहा द्वारा निर्देशित बांग्ला फिल्म ‘अपरिचितो आमी, प्रकाश झा द्वारा निर्देशित लिपिस्टिक वाले सपने, जॉन अब्राहम के प्रोडक्शन में निर्मित ‘सत्रह को शादी है’ एवं सन्देश नाइक द्वारा निर्देशित लव शगुन आदि।
अभिनय में दक्षता हासिल करने बाद उन्होंने खुद को निर्देशक के रूप में भी आज़माया और सफल रहीं। उन्होंने टैगोर द्वारा रचित कई बांग्ला नृत्य नाटिकाओं और अन्य नाटकों का निर्देशन किया जिन्हें खूब सराहना मिली। इसके अलावा स्वास्तिका जी ने संस्कृति मंत्री, पश्चिम बंगाल के सहयोग से टैगोर कृत ‘चंडालिका’ का हिंदी अनुवाद भी किया। मध्यप्रदेश की सुप्रसिद्ध भरतनाट्यम की नृत्यांगना श्रीमती लता मुंशी के लिए स्वास्तिका जी ने टैगोर कृत ‘चित्रांगदा’ का भी हिंदी अनुवाद किया|
स्वास्तिका जी की दो बेटियाँ हैं तनीमा एवं तृषा, दोनों दुबई में निवास करती हैं। तनीमा बहुत अच्छी अभिनेत्री और गायिका भी हैं। स्वास्तिका जी बांग्लादेश में भी कई नाटकों का मंचन कर रही हैं एवं वर्तमान में दुबई रंगमंच पर भी सक्रिय हैं। उन्हें बचपन में माता पिता से यह सीख मिली थी कि कुछ भी बनने से पहले अच्छा इंसान बनना ज़रुरी है। शायद यही वजह है कि उनकी अभिनय के अलावा समाज सेवा में भी गहरी रूचि रही है। वे गर्भवती महिलाओं, किशोरियों के हित में संस्थाओं के साथ जुड़कर काम करती हैं। कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में उन्हें मोटिवेशनल स्पीकर के तौर पर आमंत्रित किया जाता है। वर्तमान स्वास्तिका जी रविन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय से नाट्य शास्त्र में पीएचडी कर रही हैं।
उपलब्धियां
- 2003 : श्रेष्ठ अभिनेत्री, इंटरनेशनल ड्रामा फ़ेस्टिवल, कोलकाता द्वारा
- 2006 : श्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार रंग आधार संस्था द्वारा
- 2007 : इफ़्तेख़ार स्मृति नाट्य सम्मान द्वारा रंग गौरव सम्मान
- 2010 : माय वूमन ऑफ़ भोपाल, माय एफ एम, भोपाल द्वारा
- 2016 : दुष्यंत संग्रहालय, भोपाल द्वारा दुष्यंत अभिनय सम्मान
- 2017: रंग भारती विश्वविद्यालय द्वारा नाट्य रंग सम्मान
संदर्भ स्रोत – स्व संप्रेषित स्वास्तिका जी से बातचीत पर आधारित ।
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Dear Swastika, it is a pleasure knowing you as an artist, a social worker, a human and a friend. May you have all the joy of life!!