
छाया : लाइवहिंदुस्तान डॉट कॉम
शासन क्षेत्र
राजनीति
प्रमुख हस्तियाँ
मैमूना सुल्तान
अविभाजित मध्यप्रदेश में सन् 1952 के पहले आम चुनाव में विधायक चुनी जाने वाली महिलाओं में भोपाल की मैमूना सुल्तान भी थीं। भोपाल को राजधानी बनाने के लिए संघर्ष करने वालों में मैमूना भी थीं। लेकिन उनकी पहचान महिला हस्तशिल्पियों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास के लिए है। पहली बार उन्होंने महिलाओं को जरी का काम सिखाने के लिए पहल की और उनके लिए सहकारी संस्था का गठन किया। इस संस्था की वे सन् 1954 से 1958 तक अध्यक्ष रहीं।
मैमूना का जन्म 11 अक्टूबर, 1932 को भोपाल में हुआ। मैमूना सुल्तान के दादा शाह सूजा अफगानिस्तान के दुर्रानी साम्राज्य के शासक थे। उनके पिता मोहम्मद असगर अंसारी केंद्रीय कृषि मंत्रालय में सचिव थे और मां मुगल परिवार की आदर्श गृहिणी। माता-पिता ने मिलकर उनके व्यक्तित्व का निर्माण किया। वह पहली ऐसी महिला थीं, जिसने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से स्नातक और बीटी की पढ़ाई पूरी की। 15 फरवरी, 1949 को उनका निकाह मोहम्मद मुज्तबा खान से हो गया। विवाह के बाद उनकी सक्रियता और बढ़ी। सन् 1952 में वे पहली विधानसभा में सदस्य चुनी गईं। इसके बाद सन् 1957 से 62 और सन् 1962 से 67 दो बार लोकसभा सदस्य तथा अप्रैल सन् 1974 एवं पुन: जुलाई 1980 में राज्यसभा के लिए चुनी गईं। मैमूना सार्वजनिक जीवन में कई समितियों की सलाहकार रहीं। इनमें समाज कल्याण बोर्ड और शिक्षा विभाग शामिल हैं। वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के विदेशी मामलों के विभाग की अध्यक्ष और सन् 1968 से 70 तक भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स, भोपाल की क्षेत्रीय निदेशक रहीं। मैमूना लम्बे समय तक भोपाल क्लब तथा महिला स्वैच्छिक सेवा की सदस्य थीं। सन् 1958 में वे भारतीय प्रतिनिधि मण्डल के साथ संयुक्त राष्ट्र का दौरा किया। उनका यह दौरा राजनीतिक और गैर शासकीय समितियों के लिए था। पर्यटन में विशेष रुचि रखने वाली मैमूना ने जापान और संयुक्त राष्ट्र अमेरिका जैसे अनेक देशों का भ्रमण किया। लिखने-पढऩे में विशेष रुचि के चलते उन्होंने जयप्रकाश आंदोलन और मुस्लिम समुदाय पर एक पुस्तक भी लिखी। 16 मार्च, 2006 को उनका निधन हो गया।
उपलब्धियां
1. भारत हैवी इलेक्ट्रिकल की क्षेत्रीय निदेशक- 1968-70
2. महिला जरी कार्यकर्ताओं की अध्यक्ष- 1954-58
संदर्भ स्रोत – मध्यप्रदेश महिला संदर्भ