
छाया: चित्रांगना आगले के एफ़बी अकाउंट से
प्रेरणा पुंज
अपने क्षेत्र की पहली महिला
देश की पहली महिला पखावज वादक चित्रांगना आगले रेशवाल
पखावज एक ऐसा वाद्य है जिसे बजाने में ताकत बहुत लगती है इसलिए इसे ‘पुरुष वाद्य’ माना जाता था। लेकिन इंदौर की चित्रांगना आगले रेशवाल ने इस धारणा को ग़लत साबित कर दिया। 1972 में जन्मी चित्रांगना के पिता कालिदास आगले स्वयं एक सिद्धहस्त पखावज वादक थे, उन्हीं से चित्रांगना ने पखावज बजाना सीखा। उनके भाई संजय और राजेन्द्र आगले भी इस वाद्य पर अच्छा अधिकार रखते हैं। खास बात यह है कि तीनों भाई-बहन को मां चन्द्रकला द्वारा नियमित अभ्यास कराया गया। चित्रांगना ने 40 वर्ष की आयु तक कत्थक नृत्य की शिक्षा प्राप्त की और कई प्रतियोगिताओं में प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। तत्पश्चात् पखावज वादन की ऊंची तालीम चित्रांगना ने उस्ताद अलाउद्दीन खाँ संगीत नाटक अकादमी भोपाल में पाँच वर्ष तक छत्रपति सिंह जूदेव से पाई। चित्रांगना ने कठिन साधना के बल पर बोलों के निकास तथा लय का अधिकार प्राप्त कर लिया जिसके परिणामस्वरूप इन्हें संगीत सम्मेलनों में आमन्त्रित किया जाने लगा।
कई कार्यक्रमों तथा सम्मेलनों में कु. चित्रांगना को एकल वादन, संगति तथा अपने गुरू के साथ वादन करने का अवसर प्राप्त हुआ। भारत-भवन भोपाल, धुप्रद मेला बनारस, बेरम खाँ धुप्रद समारोह जयपुर ध्रुपद मेला वृन्दावन, झाँसी और नासिक, अभिनव कला समाज इन्दौर तथा तानसेन समारोह ग्वालियर में चित्रांगना की प्रस्तुतियां हो चुकी हैं । वे दीपिका संस्था दिल्ली द्वारा आयोजित ताल कचहरी में भाग ले चुकी हैं। महर्षि डॉ. अण्णा साहेब गुंजकर संगीत संस्था, औरंगाबाद ने अक्टूबर 1994 में चित्रांगना का सम्मान किया और आकाशवाणी-औरंगाबाद ने उनका साक्षात्कार भी लिया। आपने सुर सिंगार बम्बई से ‘ताल मणि’ की उपाधि प्राप्त की। सन् 1993 में भातखण्डे शिक्षा समिति द्वारा इन्हें अभिनव कला सम्मान’ तथा ‘महाकाल सम्मान’ से भी सम्मानित किया गया। वर्ष 2000 में चित्रांगना का नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज हो चुका है।
29 मई 1992 को दक्षिण मध्य क्षेत्र संस्कृति केन्द्र नांदेड़ में ‘कल के कलाकार’ कार्यक्रम में चित्रांगना ने जब अपनी प्रस्तुति दी, उस समय संगीत निर्देशक सरदार मलिक वहां मौजूद थे। चित्रांगना का पखावज वादन सुनकर श्री मलिक ने उन्हें फिल्म में अवसर देने की बात कही। इसी तरह सप्तक संगीत समारोह, अहमदाबाद में जब चित्रांगना पखावज वादन प्रस्तुत कर रही थी, तब वहाँ पद्म विभूषण पंडित किशन महाराज और मशहूर गायिका शोभा मुद्गल उपस्थित थे। कार्यक्रम समाप्ति पर किशन महाराज ने चित्रांगना को गले से लगा लिया और माईक पर कहा कि सदियों से पखावज पर पुरूषों का अधिकार था, आज चित्रांगना का पखावज वादन सुनने के बाद लगता है कि वह टूट गया है। एक अन्य घटना की चर्चा करते हुए चित्रांगना बताती हैं कि बचपन में एक बार जब वे अपना कार्यक्रम दे रही थीं, तब वहां पं. कुमार गन्धर्व भी उपस्थित थे।चित्रांगना का प्रदर्शन देख कुमार जी के आँखों से आंसू निकल पड़े और उन्होंने कालिदास आगले से कहा कि अगर शादी के बाद इसका संगीत छूटा, तो मैं तुम्हें श्राप दूंगा, इसलिए इसका विवाह ऐसी जगह करना जहाँ कि इसका संगीत ख़त्म न हो।
चित्रांगना ने वाराणसी में आयोजित 17वें महामृत्युंजय समारोह 2014 में एकल प्रस्तुति दी। सन 2013 में उन्होंने दक्षिण कोरिया में कलर्स ऑफ़ इंडिया नामक कार्यक्रम में प्रस्तुति देकर भारत को गौरवान्वित किया। 2014 में ही पुणे में भी “महिला दिवस’ पर कला छाया कल्चरल सेंटर द्वारा चित्रांगना का सम्मान किया गया और उनकी एकल प्रस्तुति हुई । साहित्यिक पत्रिका कादम्बिनी में ‘पुरूष वादकों की दुनिया में महिलाएँ नामक लेख में चित्रांगना का उल्लेख किया गया है। 29 जून 2014 को इन्दौर में ‘समय साक्षी” कार्यक्रम में उन्होंने एकल वादन में साथ-साथ इसका व्याख्यान भी किया। कालिदास समारोह 2015, उज्जैन में भी इन्होंने अपनी प्रस्तुति का प्रदर्शन किया। इस प्रकार इन्होंने अपनी कला से देश-विदेश में ख्याति अर्जित की है। इतना ही नहीं, यूके और कोरिया में वे लोगों को ऑनलाइन पखावज सिखा रही हैं।
संपादन : मीडियाटिक डेस्क
संदर्भ स्रोत – शोधगंगा एवं पत्रिका डॉट कॉम
और पढ़ें
- शकीला-बानो-भोपाली -दुनिया की पहली महिला कव्वाल/
- प्रमिला-तिवारी मध्यप्रदेश की पहली महिला खेल पत्रकार
- रेडियो सीलोन में प्रदेश की पहली उद्घोषक शीला-तिवारी
- उड़ान-का-लायसेंस-पाने-वाली/
- देश-की-पहली-महिला-कमेंटेट
- देश-की-पहली-महिला-मानवविज
- संगीत में डॉक्टरेट हासिल करने वाली पहली महिला डॉ सुमति मुटाटकर
- विज्ञान में पीएचडी करने वाली पहली भारतीय महिला कमला भागवत सोहोनी
- भारत की पहली अंतरराज्यीय ट्रक ड्राइवर योगिता रघुवंशी
- एविएशन कंपनी स्थापित करने वाली पहली महिला कनिका टेकरीवाल
- प्रदेश की पहली महिला आईपीएस अधिकारी आशा गोपाल
- एशिया की पहली पोस्ट मास्टर जनरल सुशीला चौरसिया
- एशिया की पहली महिला ट्रक ड्राइवर पार्वती आर्य
- प्रदेश की पहली वन सेवा अधिकारी गोपा पाण्डे
- वायुसेना में प्रदेश की पहली महिला पायलट प्रिया नलगुंडवार
- रुपहले-पर्दे-पर-प्रदेश-की/
- देश की पहली महिला संतूर वादक श्रुति अधिकारी
- दूरदर्शन पर प्रदेश की पहली महिला समाचार वाचक सलमा सुल्तान
- विदेशी विश्वविद्यालय की कुलाधिपति बनने वाली देश की पहली महिला डॉ. रेणु खटोड़
- प्रसार भारती की पहली महिला अध्यक्ष मृणाल पाण्डे
- मध्यप्रदेश-की-पहली-महिला/
- देश की पहली महिला पखावज वादक चित्रांगना आगले रेशवाल
- देश की पहली ध्रुपद गायिका असगरी बाई
- दूरदर्शन की पहली महिला महानिदेशक अरुणा शर्मा
- देश की पहली महिला सुरबहार वादक अन्नपूर्णा देवी
- मध्यप्रदेश की पहली महिला सत्याग्रही सुभद्रा कुमारी चौहान
- राज्यपाल पद तक पहुँचने वाली प्रदेश की पहली महिला श्रीमती प्रभा राउ
- मध्यप्रदेश की पहली महिला उपमुख्यमंत्री जमुना देवी
- मध्यप्रदेश की पहली महिला राज्यपाल सरला ग्रेवाल
- मध्यप्रदेश की पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन
- मध्यप्रदेश की पहली महिला राज्यसभा सदस्य सीता परमानंद
- देश की पहली महिला विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
- राज्यसभा की पहली महिला उपसभापति नजमा हेपतुल्ला
- मध्यप्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री उमा भारती
- मध्यप्रदेश की पहली एवं इकलौती महिला मुख्यसचिव निर्मला बुच
- लोकसभा की पहली महिला महासचिव स्नेहलता श्रीवास्तव