जन्म: 29 अगस्त, स्थान: जबलपुर. माता: श्रीमती कमला देवी, पिता: श्री रमाशंकर तिवारी. जीवन साथी: श्री रविन्द्र. संतान: पुत्र -01. शिक्षा: एम.ए., एम.फिल, पीएचडी. व्यवसाय: प्राध्यापक/समाजिक कार्यकर्ता. करियर यात्रा: 1983 में स्नातक करने के बाद 1985 में हिन्दी साहित्य से एम.ए.किया. एम.फिल की डिग्री रानी दुर्गावती वि.वि. जबलपुर से 1986 में प्राप्त की. 2012 में बरकतउल्ला वि.वि से “बुंदेली साहित्य में स्त्री छवि” विषय पर पीएचडी की उपाधि हासिल की. 1986 से हवाबाग महाविद्यालय, जबलपुर में प्राध्यापक के रूप में कार्यरत. इसके पहले दैनिक समाचार पत्र में लेखन कार्य से जुड़ी रहीं. रूपकुंवर सती की घटना को कवर किया, घरों में काम करने वाली सहायिकाओं पर अनेक आलेख लिखे. यहीं से सामाजिक सरोकारों से जुडीं. बुंदेलखंड की स्त्रियों और सांस्कृतिक मूल्यों पर शोध कार्य. बेड़ियां महिलाओं के जीवन पर शोध, मुंबई की संस्था साहित्य प्रेमी के लिए आजादी के बाद म.प्र. की महिलाओं के सामाजिक सरोकारों पर शोध, मुक्तिबोध के साहित्य पर शोध कार्य, मुक्तिबोध एवं दोस्तोवस्की की कहानियों पर शोध कार्य, LGBTQ समुदाय के साथ कार्य एवं शोध, जबलपुर की शालाओं में जेंडर अवेयरनेस कार्यक्रम आयोजित किये. अनेक संगठनों एवं संगोष्ठियों में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहीं. राष्ट्रीय पत्रिका पहल, इतिहास बोध, अहा जिन्दगी, कथादेश, स्त्रीकाल में कविताएं एवं आलेख प्रकाशित. इनके यू-ट्यूब चैनल “कहे मितानी” पर प्रेमचन्द की कहानियों एवं इमानुएल ऑर्तिज़ की कविता का पाठ. उपलब्धियां/पुरस्कार: 50 शोध पत्र राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय शोध जर्नल में प्रकाशित. “मरीजाएं-मलहारें गाएं” पुस्तक का प्रकाशन. हरसूद, बरगी बाँध और चुटका परमाणु योजना के संघर्ष में विस्थापितों का साथ दिया. पीड़ित/शोषित महिलाओं के हक के लिए कानूनी लड़ाइयों में हमेशा साथ. समाज सेवा के क्षेत्र में इनके द्वारा किये जा रहे कार्यों के लिए इन्हें अनेक संस्थाओं व संगठनों द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. रुचियां: पढऩा, लिखना, संगीत सुनना, भ्रमण, पैदल चलना. पता: 103/डी, नेपियर टाउन हाउबाग स्टेशन रोड, जबलपुर पिन -01. ई-मेल: bhartivts@gmail.com