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डॉ. उषा कुलश्रेष्ठ
-डॉ. शुभ्रता मिश्रा
डॉ. उषा कुलश्रेष्ठ भारत की जानी मानी सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी हैं। उषा कुलश्रेष्ठ का जन्म 1 जुलाई 1964 को ग्वालियर में हुआ और उनकी स्कूली शिक्षा जे सी मिल्स हायर सेकेंडरी स्कूल, ग्वालियर से हुई। उषा कुलश्रेष्ठ ने जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के अंतर्गत आने वाले के.आर.जी. कॉलेज से बीएससी तथा शासकीय विज्ञान महाविद्यालय से एमएससी की पढ़ाई की। इसके बाद आगे अध्ययन के लिए वे जर्मनी चली गईं, वहां उन्होंने क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत के विख्यात जर्मन सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानी प्रोफेसर हेराल्ड जे. डब्ल्यू. मुलर-कर्स्टन के मार्गदर्शन में शोधकार्य किए। वर्ष 1993 में उषा कुलश्रेष्ठ को यूनिवर्सिटी ऑफ कैसरस्लॉटर्न से पीएचडी की उपाधि प्राप्त हुई।
जर्मनी से भारत वापसी के तुरंत बाद वर्ष 1994 से 1999 तक डॉ. उषा कुलश्रेष्ठ ने दिल्ली विश्वविद्यालय के भौतिकी और खगोल भौतिकी विभाग में सीएसआईआर के अनुसंधान अध्येता (पूल ऑफीसर) के रुप में अपने केरियर की शुरुआत की। इसी विभाग में उन्होंने वर्ष 1999 से 2001 तक सीएसआईआर के वरिष्ठ अनुसंधान अध्येता के तौर पर काम किया। इसके बाद वर्ष 2001-2002 के दो सालों के दौरान उषा कुलश्रेष्ठ ने पुनः जर्मनी में रहकर टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ कैसरस्लॉटर्न में पोस्ट डॉक्टोरल फैलो के तौर पर सैद्धांतिक भौतिकी में शोधकार्य किए। भारत लौटने पर वे सन् 2003 से लेकर 2005 तक दिल्ली विश्वविद्यालय के अंतर्गत आने वाले विभिन्न महाविद्यालयों जैसे केशव महाविद्यालय, हिंदू महाविद्यालय और स्वामी श्रृद्धानंद महाविद्यालय में भौतिकी की व्य़ाख्याता रहीं। इसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित किरोड़ीमल कॉलेज में वर्ष 2007 में डॉ. उषा कुलश्रेष्ठ की नियुक्ति स्थायी वरिष्ठ व्याख्याता के पद पर हुई, फिर वे वहां रीडर बनी और वर्तमान में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं।
भारत के अलावा प्रोफेसर उषा कुलश्रेष्ठ को वर्ष 2011 से लगातार अमेरिका की आयोवा स्टेट यूनिवर्सिटी में थ्योरी ग्रुप ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स और जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ ओल्डेनबर्ग के कार्ल वॉन ओस्सिएट्ज़की के फील्ड थ्योरी ग्रुप में कई बार विजिटिंग फैकल्टी के रुप में अपनी सेवाएं देने का गौरव मिला है।
पिछले तीन दशकों से भौतिकी, खगोल भौतिकी और सैद्धांतिक भौतिकी विषयों की लगातार सर्वप्रिय प्राध्यापिका की भूमिका निभाती आ रहीं प्रोफेसर उषा कुलश्रेष्ठ ने सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्र में अद्भुत शोधकार्य भी किए हैं। सैद्धांतिक भौतिकी, भौतिकी की एक शाखा है जिसके अंतर्गत भौतिकविज्ञानी गणितीय नियमों और गणनाओं के आधार पर मॉडलों को विकसित करते हैं। इन गणितीय मॉडलों के माध्यम से ब्रह्मांड की प्रकृति और प्राकृतिक घटनाओं से जुड़ीं बुनियादी अवधारणाओं जैसे ऊर्जा, गति, बल, समय, पदार्थ और द्रव्यमान की तर्कसंगत व्याख्या की जाती है। प्रोफेसर उषा कुलश्रेष्ठ ने सैद्धांतिक उच्च ऊर्जा भौतिकी, क्वांटम क्षेत्र सिद्धांत, कण भौतिकी, सामान्य सापेक्षता, सघन बोसॉन तारों और वर्महोल के भौतिकीय अध्ययन, स्ट्रिंग सिद्धांत और डी-ब्रान्स पर उत्कृष्ट शोधकार्य किए हैं। उन्होंने हेमिल्टनियन, पथ समाकलन और बीआरएसटी जैसे सूत्रों का उपयोग करते हुए गेज समरूपता और कई क्षेत्र सिद्धांतों और डी-ब्रान कार्यों के त्वरित-रूप और प्रकाश-अग्रांश परिमाणन जैसे विषयों के सैद्धांतिक भौतिकीय अध्ययन किए।
विश्व के अन्य सैद्धांतिक भौतिक विज्ञानियों की तरह ही प्रोफेसर उषा कुलश्रेष्ठ जी द्वारा किए गए शोधकार्यों से वर्तमान तकनीकी विकास में प्रत्यक्ष और परोक्ष सहायता मिल रही है। वर्तमान में लोगों के दैनिक जीवन से जुड़े अनेक अपरिहार्य उपकरणों जैसे टेलीविजन और कंप्यूटर से लेकर रडार, एक्स-रे और चिकित्सकीय नैदानिक उपकरणों आदि महत्वपूर्ण साधनों के अत्याधुनिक स्वरुपों की नींव में सैद्धांतिक भौतिकी ही है। प्रोफेसर उषा कुलश्रेष्ठ को उनके सैद्धांतिक भौतिकी के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए वर्ष 2010 में इंटरनेशनल लाइट कोन एडवाइज़री कमेटी इनकारपोरेशन, जर्मनी द्वारा क्वांटम फील्ड थ्योरी में अनुसंधान के लिए दिए जाने वाले गैरी मैककार्टर अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
लेखिका विज्ञान लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हैं। उनका जीवन परिचय https://swayamsiddha.co/डॉ-शुभ्रता-मिश्रा/ पर पढ़ा जा सकता है।
© मीडियाटिक
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