अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-दिल्ली सरकार ने किया जबलपुर की 82 साल की महिला शांति बाई का सम्मान

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कहते हैं न कि अगर हौसले बुलंद हों और दिल में कुछ करने का जज़्बा हो तो बढ़ती उम्र भी रास्ते का रोड़ा नहीं बन सकती। इस कहावत को सच कर दिखाया है 81 वर्षीय शांतिबाई ने। निपट अकेले रहने वाली ये बुजुर्ग इस उम्र में रोजाना 20 से 22 किलोमीटर साइकिल चलाती है। उनके परिवार में कोई नहीं है।जबलपुर के गढ़ा के पास रहने वाली शांतिबाई यादव रोज़ सुबह 8 बजे अपने घर से काम के लिए निकल जाती हैं और फिर शाम को 5 बजे वापस आती हैं, वह कई घरों में काम भी करती हैं। कई मर्तबा ऐसा भी होता है कि जब साइकिल चलाते-चलाते वह थक जाती हैं और उनसे साइकिल नहीं संभलती।ऐसे में सड़क किनारे बैठ कर आराम करती हैं, फिर अपनी मंजिल की ओर निकल पड़ती हैं।
शांतिबाई बताती हैं कि वे पढ़ी लिखी नही हैं, पर उसके हौसले उन पढ़े लिखों से भी बुलंद हैं, जो एक उम्र के बाद थक हारकर बैठ जाते हैं। जो काम 81 साल की शांति रोजाना कर रही हैं, उसे आजकल के युवा भी नहीं कर सकते हैं। 81 साल की होने के बावजूद शांति बाई की आंखों पर चश्मा नहीं है और इस उम्र में भी वह साफ देख सकती हैं। वे न सिर्फ बाहर, बल्कि घर का भी अपना पूरा काम स्वयं करती हैं। ये कहना ग़लत नहीं होगा कि वह इस उम्र में भी वे किसी के लिए बोझ नहीं हैं। उम्र के इस पड़ाव में भी उनका साइकिल चलाना बताता है कि साइकिलिंग करना सेहत के लिए कितना फायदेमंद होता है।
उनकी दो बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा शांति बाई सहित मध्यप्रदेश की तीन महिलाओं को सम्मानित किया गया है।
सन्दर्भ स्रोत- ईटीवी भारत डॉट कॉम
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